कर्ज में डूबे दंपत्ति को बंदरो ने बना दिया करोड़पति, मौ-त के बाद मंदिर में लगवाई गई मूर्ति

कर्ज में डूबे दंपत्ति को बंदरो ने बना दिया करोड़पति, मौ-त के बाद मंदिर में लगवाई गई मूर्ति

एक मुस्लिम महिला
जिसने लव मैरिज करने के बाद समाज में काफी विरोध का सामना किया। महिला की अपनी कोई संतान भी नहीं हुई। इस निराशाभरे समय में महिला को एक ऐसा बंदर मिला जिसने उसकी किस्मत का ऐसा सितारा चमका दिया कि खुद भी करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया और महिला को भी एक संतान मिल गई।

घर में मेहमान बनकर आया था बंदर
ये अनोखा मामला उत्तर प्रदेश के रायबरेली का है। दरअसल, शहर के शक्ति नगर मोहल्ले की रहने वाली कवयित्री सबिस्ता और उनके पति एडवोकेट बृजेश श्रीवास्तव को शादी के कई साल बाद भी संतान की खुशी नहीं मिल सकी।

साल 2005 में एक मदारी एक बंदर को लेकर जा रहा था। सबिस्ता ने मदारी से लेकर उसे खरीद लिया और उसका नाम चुनमुन रख दिया। फिर वह अपने बेटे की तरह उसका ख्याल रखने लगी।

बंदर ने बदल दी दंपत्ति की किस्मत
सबिस्ता और बृजेश के सिर पर 13 लाख का कर्ज था। चार माह के चुनमुन के घर में कदम पड़ते ही सबिस्ता की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी। उनका सारा कर्ज कब खत्म हुआ, पता ही नहीं चला। सबिस्ता को कवि सम्मेलनों में बुलाया जाने लगा और उनकी किताबें भी बाजार में आईं। कवि सम्मेलनों के संचालन से अच्छी आय होने लगी।

महज कुछ सालों में ही उनकी आर्थिक स्थिति में काफी हो गया। उन्होंने इसका पूरा श्रेय चुनमुन को दिया और उसके लिए अलग से एसी और हीटर वाले तीन कमरे बनवा दिए। साथ ही चुनमुन के नाम ही मकान, गाड़ी, दो बीघे जमीन, एक प्लॉट, 20 लाख की बैंक में एफडी करवाई।

2010 में बंदर की शादी भी की

फिर दंपती ने तय किया कि उनका कोई बच्चा नहीं है, ऐसे में उनका सब कुछ चुनमुन ही होगा। इतना ही नहीं बल्कि दंपत्ति ने साल 2010 में शहर के पास ही छजलापुर निवासी अशोक यादव की बंदरिया बिट्टी यादव से उसका विवाह भी कराया गया। फिर चुनमुन के नाम से ट्रस्ट बनाकर वह पशुसेवा करने लगीं।

घर में बनाया बंदर का मंदिर
14 नवंबर, 2017 को चुनमुन की मौत हो गई। सबिस्ता ने पूरे विधि विधान से उसका अंतिम संस्कार कराया और तेरहवीं भी की। फिर शबिस्ता ने चुनमुन की याद में घर के अंदर ही उसका मंदिर बनवा दिया। मंदिर में श्री राम-लक्ष्मण और सीता माता के साथ चुनमुन की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की गई।

चुनमुन के गुजर जाने के बाद जब उसकी पत्नी बिट्टी अकेली पड़ गई तो सबिस्ता उसके लिए 2018 में लंपट को ले आईं। फिर दोनों साथ-साथ रहने लगे। 31 अक्टूबर, 2021 को बिट्टी की भी मृत्यु हो गई। अब सिर्फ लंपट ही पूरे घर में धमाचौकड़ी मचाता रहता है।

पशु सेवा के लिए बेचेंगे मकान
सबिस्ता का कहना है कि, चुनमुन के आने से घर का माहौल ही बदल गया था। तभी से उन्हें बंदरों से बहुत प्यार हो गया। वह उन्हें भगवान हनुमान की तरह पूजती हैं। उन्होंने कहा कि, ‘घर पर सिर्फ मैं और मेरे पति ब्रजेश अकेले रहते हैं। इतने बड़े घर का कोई मतलब नहीं है। इसलिए हम इस घर को बेचकर छोटा सा घर ले लेंगे।

इसके अलावा निराला नगर में भी जमीन है, उसे भी बेच देंगे। इनसे जो रकम मिलेगी, वो चुनमुन ट्रस्ट के नाम से खुले बैंक एकाउंट में जमा करके पशु सेवा करेंगे।’ सबिस्ता और ब्रजेश ने यह नेक कार्य कर एक अनोखी मिसाल पेश की है और साथ ही उन्होंने समाज को पशुओं से प्रेम करने का संदेश भी दिया है।

hardik koshiya

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *