राजा-महाराजा एक साथ 365 रानियों को खुश कैसे करते थे ??

राजा-महाराजा एक साथ 365 रानियों को खुश कैसे करते थे ??

पटियाला में पुरानी रियासत के महल आज भी महाराजा भुपिंदर सिंह की 365 रानियों के किस्से बयान करते हैं। महाराजा भूपिंदर सिंह ने यहां वर्ष 1900 से वर्ष 1938 तक राज किया। आगे पढ़ें कैसे रानियों के साथ रातें बिताते थे महाराजा….

भव्य महलों में रहती थी रानियां: इतिहासकारों के मुताबिक महाराजा भूपिंदर सिहं की की 10 अधिकृत रानियों के समेत कुल 365 रानियां थीं। महाराजा की रानियों के किस्से तो अब इतिहास में दफन हो चुके हैं, जबकि उनके लिए बनाए गए महल अब ऐतिहासिक धरोहर बन चुके हैं।

365 रानियों के लिए पटियाला में भव्य महल बनाए गए थे। रानियों के स्वास्थ्य की जांच के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम भी इन महलों में ही रहती थी। उनकी इच्छा के मुताबिक उन्हें हर चीज मुहैया करवाई जाती थी।

कुछ यूं 365 रानियों संग रातें बिताते थे महाराजा भूपिंदर सिंह: दीवान जरमनी दास के मुताबिक महाराजा भूपिंदर सिंह की दस पत्नियों से 83 बच्चे हुए थे जिनमें 53 ही जी पाए थे।

महाराजा कैसे अपनी 365 रानियों को संतुष्ट रखते थे इसे लेकर इतिहास में एक किस्सा बहुत मशहूर है।
कहते हैं कि महाराजा पटियाला के महल में रोजाना 365 लालटेनें जलाई जाती थीं। हर लालटेन पर उनकी 365 रानियों के नाम लिखे होते थे।

जो लालटेन सुबह पहले बुझती थी महाराजा उस लालटेन पर लिखे रानी के नाम को पढ़ते थे और फिर उसी के साथ रात गुजारते थे।

ये हैं पटियाला की ऐतिहासिक धरोहर:

किला मुबारक परिसर: 10 एकड़ क्षेत्र में फैला किला मुबारक परिसर पटियाला शहर के बीचोबीच स्थित है। मुख्‍य महल, गेस्‍ट हाउस और दरबार हॉल इस किले के परिसर के प्रमुख भाग हैं। इस परिसर के बाहर दर्शनी गेट, शिव मंदिर और दुकानें हैं।

रंग महल और शीश महल: इन दोनों महलों को बड़ी संख्‍या में भीत्ति चित्रों से सजाया गया है, जि‍न्हें महाराजा नरेन्द्र सिंह की देखरेख में बनवाया गया था। किला मुबारक के अंदर बने इन महलों में 16 रंगे हुए और कांच से सजाए गए चेंबर हैं।

महिला चेंबर में चित्रित हैं प्रेम प्रसंग: महिला चेंबर में लोकप्रिय प्रेम प्रसंग की कहानियां चित्रित की गई हैं। महल के अन्‍य दो चेंबरों में अच्‍छे और बुरे राजाओं के गुण-दोषों पर प्रकाश डाला गया है।

दरबार हॉल: यह हॉल सार्वजनिक समारोहों में लोगों के एकत्रित होने के लिए बनवाया गया था। इस हॉल को अब एक संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है, जिसमें आकर्षक फानूस और विभिन्‍न अस्त्र-शस्त्रों को रखा गया है।

रनबास: इस इमारत को अतिथि गृह के रूप में इस्‍तेमाल किया जाता था। इसका विशाल प्रवेश द्वार और दो आंगन पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं, यहां फव्वारे और टैंक आंगन की शोभा बढ़ाते हैं।

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