पुराने जमाने में घर में शौचालय नहीं थे महाराजा -महारानियाँ शौच के लिए कहा जाते होंगे ?

केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया गया है इसके तहत देश में बड़ी संख्या में शौचालय बनाए जा रहे हैं। इस मौके पर मैं आपको बताते है की पुराने जमाने में राजा और रानी की शौचालय की कैसी व्यवस्था होती थी।
पुराने जमाने में राजा और रानियों के लिए लंबे चौड़े राज महल में विशेष व्यवस्था होती थी उनके लिए जिस प्रकार मुख्य महल से अलग स्नानघर होता था वैसे ही बाड़े नुमा सोचालय भी होता था जानकारी के मुताबिक सोच के बाद उस अपशिष्ट पर मिट्टीरख डाल दी जाती थी।
राजस्थान के किले में एक शाही टॉयलेट मिला है इस टॉयलेट का सिर्फ राज परिवार इस्तेमाल किया करता था यह बहुत ही सुविधाजनक टॉयलेट था आज से लगभग 5000 साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में भी टॉयलेट्स मिले हैं।
खुदाईौ दौरान टॉयलेट में दोनों फ्लैश टॉयलेट और नॉन फ्लश टॉयलेट मिले हैं नदियों और नालियों का जाल भी बिछावा मिला है जो कचरे को बाहर करने में काम आता था 5000 साल 1 साल पहले खुदाई में मिला एक ड्राई टॉयलेट है जिसे आजकल के समय टॉयलेट होते हैं यह दिखने में वेस्टर्न टॉयलेट जैसा ही था।
बता दे की दिल्ली में सुलभ शौचालय का संग्रहालय बनाए गए हैं राजा महाराजाओं के समय की सिंहासन की तरह दिखने वाले टॉयलेट और हड़प्पा सभ्यता के दौरान मोहन जोदरो में इस्तेमाल होने वाले टॉयलेट सीट सब तरह के प्राचीन शौचालय रखे गए हैं खोजों से पता चलता है कि भारत के लोग प्राचीन काल में स्वच्छता का ध्यान रखते थे।
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