शाहजहाँ: जिसने अपनी हवस के लिए बेटी तक को नहीं छोड़ा उसे प्रेम की मिसाल के रूप पेश किया जाता है!!

यमुना नदी के किनारे सफेद पत्थरों से निर्मित अलौकिक सुंदरता की तस्वीर ‘ताजमहल’ (Taj Mahal) न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुका है। ताजमहल को दुनिया के सात आश्चर्यों में शामिल किया गया है। इतिहास के पन्नों में यह लिखा है कि ताजमहल को शाहजहाँ ने मुमताज के लिए बनवाया था। वह मुमताज से प्यार करता था। दुनिया भर में ताजमहल को प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
लेकिन कुछ इतिहासकार इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं। उनका मानना है कि ताजमहल को शाहजहाँ ने नहीं बनवाया था वह तो पहले से बना हुआ था। उसने इसमें हेर-फेर करके इसे इस्लामिक लुक दिया।
दरअसल, ताजमहल (Taj Mahal) और प्यार की कहानी इसीलिए गढ़ी गई है कि लोगों को गुमराह किया जा सके और लोगों खास कर हिन्दुओं से छुपाई जा सके कि ताजमहल कोई प्यार की निशानी नहीं बल्कि महाराज जयसिंह द्वारा बनवाया गया भगवान शिव का मंदिर तेजो महालय है। प्रसिद्ध शोधकर्ता और इतिहासकार पी एन ओक (पुरुषोत्तम नागेश ओक) ने पुरातात्विक साक्ष्यों के जरिए बकायदा इसे साबित किया है और इस पर पुस्तकें भी लिखी हैं।
पुरुषोत्तम नागेश ओक ने अपनी शोधपूर्ण पुस्तक में तथ्यों के माध्यम से ताजमहल के रहस्य से पर्दा उठाया है। इतिहासकार पुरुषोत्तम ओक ने अपनी पुस्तक में लिखा हैं कि शाहजहाँ ने दरअसल, वहां अपनी लूट की दौलत छुपा रखी थी इसलिए उसे कब्र के रूप में प्रचारित किया गया।
यदि शाहजहाँ ताजमहल का वास्तव में निर्माता होता तो इतिहास में ताजमहल (Taj Mahal) में मुमताज को किस दिन बादशाही ठाठ के साथ दफनाया गया था इसका उल्लेख भी अवश्य होता। शाहजहां के लिए मुमताज कोई मायने नहीं रखती थी। क्योंकि जिसके हरम में हजारों सुंदर स्त्रियां हों वो भला प्रत्येक स्त्री की मृत्यु का हिसाब कैसे रख सकता है।
जिस शाहजहाँ ने जीवित मुमताज के लिए एक भी निवास नहीं बनवाया वह उसके मरने के बाद भव्य महल बनवाएगा? शोधकर्ताओं के अनुसार आगरा से 600 किलोमीटर दूर बुरहानपुर में मुमताज की कब्र है, जो आज भी ज्यों की त्यों है। बाद में उसके नाम से आगरे के ताजमहल में एक और कब्र बनी जो नकली है।
बुरहानपुर से मुमताज का शव आगरा लाने का ढोंग क्यों किया गया?: माना जाता है कि मुमताज को दफनाने के बहाने शहजहां ने राजा जय सिंह पर दबाव डालकर उनके महल (ताजमहल) पर कब्जा किया और वहां की संपत्ति हड़पने के बाद लूटा गया खजाना महल के सबसे नीचले माले पर छुपा दिया था जो बहुत काल तक वहीं रखा रहा। वर्तमान में स्थिति क्या है यह कोई नहीं जानता।
मुमताज का इंतकाल 1631 को बुरहानपुर के बुलारा महल में हुआ था। वहीं उन्हें दफना दिया गया था। लेकिन माना जाता है कि उसके 6 महीने बाद राजकुमार शाह शूजा की निगरानी में उनके शरीर को आगरा लाया गया। आगरा के दक्षिण में उन्हें अस्थाई तौर फिर से दफन किया गया और आखिर में उन्हें अपने मुकाम यानी ताजमहल में दफन कर दिया गया।
क्या शाहजहाँ और मुमताज में प्रेम था?: (Did Shahjahan really love Mumtaz?) इतिहासकार पी एन ओक अनुसार क्योंकि शाहजहाँ ने मुमताज के लिए दफन स्थान बनवाया और वह भी इतना सुंदर तो इतिहासकार मानने लगे कि निश्चित ही फिर उनका मुमताज के प्रति प्रेम होना ही चाहिए। तब तथाकथित इतिहासकारों और साहित्यकारों ने इसे प्रेम का प्रतीक लिखना शुरू कर दिया।
उन्होंने उनकी गाथा को लैला-मजनू, रोमियो-जूलियट जैसा लिखा जिसके चलते फिल्में भी बनीं और दुनियाभर में ताजमहल प्रेम का प्रतीक बन गया। यह झूठ आज तक जारी है।
मुमताज से विवाह होने से पूर्व शाहजहाँ के कई अन्य विवाह हुए थे अत: मुमताज की मृत्यु पर उसकी कब्र के रूप में एक अनोखा खर्चीला ताजमहल बनवाने का कोई कारण नजर नहीं आता। मुमताज का नाम मुमताज महल था ही नहीं, बल्कि उसका असली नाम ‘अर्जुमंद-बानो-बेगम’ था और तो और जिस शाहजहाँ और मुमताज के प्यार की इतनी डींगे हाँकी जाती है वो शाहजहाँ की ना तो पहली पत्नी थी ना ही आखिरी ।
मुमताज किसी सुल्तान या बादशाह की बेटी नहीं थी। उसे किसी विशेष प्रकार के भव्य महल में दफनाने का कोई कारण नजर नहीं आता। उसका कोई खास योगदान भी नहीं था। उसका नाम चर्चा में इसलिए आया क्योंकि युद्ध के रास्ते के दौरान उसने एक बेटी को जन्म दिया था और वह मर गई थी। शाहजहाँ के बादशाह बनने के बाद ढाई-तीन वर्ष में ही मुमताज की मृत्यु हो गई थी।
क्या मुमताज के नाम पर रखा मुमताज महल?: पुरुषोत्तम लिखते हैं कि ‘महल’ शब्द मुस्लिम शब्द नहीं है। अरब, ईरान, अफगानिस्तान आदि जगह पर एक भी ऐसी मस्जिद या कब्र नहीं है जिसके बाद महल लगाया गया हो। यह भी गलत है कि मुमताज के कारण इसका नाम मुमताज महल पड़ा, क्योंकि उनकी बेगम का नाम था मुमता-उल-जमानी।
यदि मुमताज के नाम पर इसका नाम रखा होता तो ताजमहल के आगे से मुम को हटा देने का कोई औचित्य नजर नहीं आता।