ये है देश का पहला डिजिटल भिखारी, फोनपे, गूगलपे पर लेता है भीख, गले में लटकाकर रखता है QR Code

ये है देश का पहला डिजिटल भिखारी, फोनपे, गूगलपे पर लेता है भीख, गले में लटकाकर रखता है QR Code

पीएम मोदी ने 2015 में डिजिटल इंडिया अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान का ख़ास मकसद देश में डिजिटलाइज़शन को बढ़ावा देना है और लोगों को ज्यादा से ज्यादा डिजिटल पेमेंट के लिए प्रोत्साहित करना। इस में यूपीआई एक बड़ा ही अहम रोल निभा रहा है। भीम, फोन पे, गूगल पे, मोबिक्विक, पेटीएम जैसे कई एप के माध्यम से लोग मनी एक्सचेंज में अब अधिक सहज महसूस करते हैं। आम जनता का तो पता नहीं लेकिन हमारे देश के भिखारियों ने जरूर मोदी जी के इस अभियान को बढ़ावा देने की शुरुआत कर दी है।

दूर से हो जाती है राजू की पहचान: जी हां… इन दिनों बिहार का एक डिजिटल भिखारी खूब फेमस हो रहा है। यह भिखारी फोन पे और गूगल पे पर भीख लेता है। ऐसे में ‘छुट्टे नहीं है’ का बहाना इसके पास नहीं चलेगा। इस डिजिटल भिखारी का नाम राजू है। वह बेतिया रेलवे स्टेशन पर भीख मांगता है। राजू की पहचान दूर से ही हो जाती है।

डिजिटल युग के साथ खुद को किया अपडेट: दरअसल राजू नाम का युवक जो बचपन से स्टेशन पर भीख मांगते आ रहा है ने अब अपने भीख मांगने के तरीके को भी डिजिटल युग के साथ अपडेट कर लिया है, ऐसे में उसका अब भीख मांगने का अंदाज अब बदल गया है। वह लोगों से अब छुट्टे नहीं लेता बल्कि फोन पे, गुगल पे, पेटीएम जैसे डिजिटल तरीके से भीख मांगता है।

 

 

 

 

 

 

देश का पहला डिजिटल भिखारी: राजू के गले में ‘QR CODE’ हमेशा लटका रहता है और हाथ में टैब रहता है। भीख मांगने पर कोई कहता है कि छुट्टे नहीं है तो राजू कहता है कि फोन पे दो, गूगल पे कर दो। यह बिहार का ही नहीं भारत का पहला डिजिटल भिखारी है। वहीं राजू अपने आप को देश का पहला हाईटेक भिखारी बताता है।

भीख मांगने के अंदाज के दीवाने हैं लोग: राजू को लोग मंदबुद्दि बताते हैं। लेकिन राजू की सोच स्मार्ट है। ये अलग बात है कि उसकी स्मार्ट सोच भीख मांगने जैसे काम के लिए है। लोग उसके भीख मांगने के अंदाज के कायल हैं। उसके बारे में स्थानीय लोग बताते हैं कि वह बचपन से ही यहीं भीख मांग रहा। वह बड़े ही अलग अंदाज में लोगों से भीख मांगता है। इसकी वजह से उसे आराम से भीख मिल जाता है।

 

 

 

 

 

 

लालू और मोदी का है जबरा फैन: राजू, लाल प्रसाद का फैन है। वह लालू प्रसाद को अपने पिता जैसा मानता है। वह जिले में लालू प्रसाद के होने वाले सभी कार्यक्रम में पहुंचता था। राजू कहता है लालू प्रसाद भी उसके बहुत पसंद करते हैं। साल 2005 में लालू प्रसाद यादव के आदेश पर उसे सप्तक्रांति सुपर फास्ट एक्सप्रेस की पैंट्री कार से रोज खाना मिलता था। उसे 2015 तक हर रोज इस ट्रेन से खाना मिला। इसके साथ ही राजू खुद को पीएम मोदी का भक्त बताता है। वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया का भी दीवाना है।

बड़ी मशक्कत के बाद मिला QR कोड: राजू को यह QR कोड स्कैनर इतनी आसानी से नहीं मिला बल्कि उसे इसके लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ी है। दरअसल, पिछले कुछ दिनों से जब लोग छुट्टे पैसे नहीं है कहकर भीख देने से मना करने लगे तो उसने एक बैंक में जाकर खाता खुलवाया। उसे बैंक में खाते खुलवाने में बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ा।

इस डिजिटल भिखारी की देशभर में हो रही चर्चा: जानकारी के मुताबिक, खाता खुलवाने के लिए जरूरी दस्तावेज में आधार कार्ड और पैन कार्ड की जरूरत पड़ती है। आधार कार्ड तो उसके पास पहले से था लेकिन पैन कार्ड बनवाने के बाद उसका एसबीआई की एक शाखा में खाता खुला। जिसके बाद उसने ई-वॉलेट बना कर गले में QR CODE वाली तख्ती टांग कर भीख मांगनी शुरू कर जी। जिससे उसकी आमदनी बढ़ गई है। अब इस डिजिटल भिखारी की पूरे देश में चर्चा हो रही है।

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